लेखनी प्रतियोगिता -29-May-2023
दैनिक प्रतियोगिता ( स्वैच्छिक)
"बारिश की बूंदे"
मेरे मन की तपती धरा पर
शीतल जल बरसाना
ए बारिश की बूंदों। 💦
तुम मचल कर आना।
हे काले घन इस बार
तुम जमकर छाना।
रेगिस्तान की मरूभूमि पर
मृगतृष्णा को तोड़ जाना।
ए बारिश की बूंदों 💦
तुम मचल कर आना।
किसानोें के खेतों में
गरीबों की कुटिया में
जाके अन्न उगाना।
चाहे टूटे छप्पर या
बह जाए चप्पल
बारिश की बूंदों तुम
रूक मत जाना।
ए बारिश की बूंदों
तुम मचल कर आना। २
अपर्णा "गौरी"
Varsha_Upadhyay
30-May-2023 11:36 PM
बहुत खूब
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Babita patel
30-May-2023 06:35 PM
very nice
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Abhinav ji
30-May-2023 08:34 AM
Very nice
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